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  4. Why is voting decreasing in BJP stronghold Madhya Pradesh in Lok Sabha elections?
Last Modified: शनिवार, 27 अप्रैल 2024 (12:04 IST)

लोकसभा चुनाव में भाजपा के गढ़ मध्यप्रदेश में कम क्यों हो रही वोटिंग?

election 2019
भोपाल। लोकसभा चुनाव के दूसरे चऱण में भी मध्यप्रदेश की 6 सीटों पर कम वोटिंग ने अब सियासी दलों की चिंता बढ़ा है। प्रदेश में पहले दो चरणों में 12 लोकसभा सीटों पर हुई कम वोटिंग के बाद सबसे अधिक हलचल भाजपा खेमे में देखी जा रही है। लोकसभा चुनाव में हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने के लक्ष्य के साथ चुनावी मैदान में उतरी भाजपा के लिए कम वोटिंग बड़ा झटका माना जा रहा है। ऐसे में अब पार्टी प्रदेश के अगले दो चरणों में वोटिंग बढ़ाने पर अपना पूरा फोकस कर दिया। शनिवार को भाजपा के प्रदेश कार्यालय में चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक में भी वोटिंग परसेंट बढ़ाने को लेकर मंथन हुआ।

बूथ स्तर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं!- लोकसभा चुनाव में कम वोटिंग के पीछे सबसे ब़ड़ा कारण जो माना जा रहा है वह भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पर्टियों में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं होना है। बूथ स्तर के कार्यकर्ता की पोलिंग में अहम भूमिका होती है। पार्टी के यह कार्यकर्ता ही चुनाव के वक्त घर-घर जाकर वोट की अपील करने के साथ वोटिंग के दिन  वोटर्स को घर से निकालकर मतदान केंद्र तक ले जाने में अहम भूमिका निभाता है।

ऐसे में सवाल यह उठाता है कि आखिर लोकसभा चुनाव में बूथ स्तर का कार्यकर्ता क्यों सक्रिय नहीं है। अगर जमीनी स्तर पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को देखा जाए तो इसके अलग-अलग कारण है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लोकसभा चुनाव में भाजपा कार्यकर्ता कहीं न कहीं ओवर कॉन्फिडेंस में है, वह यह मानकर चल रहा है कि चुनाव में मोदी का चेहरा ही काफी है, यहीं कारण है कि भाजपा का बूथ स्तर का कार्यकर्ता वैसा सक्रिय नहीं है जैस वह पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में सक्रिय था। विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर मानी जा रही थी, ऐसे में भाजपा का बूथ स्तर का कार्यकर्ता पूरी ताकत के साथ बूथ पर जुटा था, जबकि लोकसभा चुनाव में इसके ठीक उलट एकतरफा माहौल है। ऐसे में कहीं न हीं भाजपा का कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास में नजर आ रहा है।
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वहीं लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का मूल कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है। चुनाव के दौरान जिस तरह से कांग्रेस पार्टी में भगदड़ का माहौल है और पार्टी के बड़े-बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा रहे है, उससे पार्टी का मूल कार्यकर्ता चुनाव के वक्त घर बैठ गया है और वैसा सक्रिय नहीं है जैसा विधानसभा चुनाव के वक्त था। यहीं कारण है  कि  चुनाव में सत्ता विरोधी वोटर्स भी उतनी संख्या में पोलिंग बूथ नहीं पहुंच पा रहा है।
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उम्मीदवारों के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी बड़ा फैक्टर-लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों को फिर से मैदान में उतारा है। जैसे रीवा में पार्टी ने मौजूदा सांसद जर्नादन मिश्रा की तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है। रीवा में दूसरे चरण में सबसे कम 49.46% मतदान हुआ है जो 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 10 फीसदी कम है। रीवा में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस की उम्मीदवार नीलम मिश्रा से है। ऐसे में रीवा में कम वोटिंग का बड़ा कारण बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की कम सक्रियता के साथ मौजा सांसद के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी भी है।

रीवा की तरह विंध्य की दूसरी अहम सीट सतना लोकसभा सीट पर भी 2019 की तुलना में 12 फीसदी कम वोटिंग हुई है। रीवा में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले  मौजूदा सांसद गणेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में कम वोटिंग भाजपा के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। सतना में बसपा के टिकट नारायण त्रिपाठी के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। कांग्रेस ने सतना से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले सिद्धार्थ कुशवाह को फिर से मैदान में उतारा है।   

प्रचंड गर्मी औऱ शादी का सीजन- लोकसभा चुनाव में कम वोटिंग का बड़ा कारण सियासी दल प्रचंड गर्मी और शादी का सीजन भी मान रहे है। दूसरे चऱण की वोटिंग के बाद मुख्यमंत्री ड़ॉ. मोहन यादव ने कहा कि शादी ब्याह के चलते वोटिंग थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन बाकी राज्यों के मुकाबले मध्यप्रदेश में बेहतर वोटिंग हुई है। उन्होंने दावा किया कि दूसरे चरण में मतदाताओं में भाजपा के लिए खासा उत्साह दिखाई दिया है, ऐसे में भाजपा अब तक जिन 12 लोकसभा सीटों वोटिंग हुई है, सभी जीत रही है।

मध्यप्रदेश में कम वोटिंग से शाह नाराज- लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कम वोटिंग से भाजपा हाईकमान बेहद नाराज है। दूसरे चऱण की वोटिंग के दौरान मध्यप्रदेश दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कम वोटिंग के लेकर संगठन को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने दो‌ टूक शब्दों में निर्देश दिए है कि ऐसे विधायक जो चुनाव में कम सक्रिय है, उन पर पार्टी चुनावों के बाद निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के आधार पर हर विधायक का रिपोर्ट कार्ड बनेगा और उस रिपोर्ट‌ के आधार पर राजनीति भविष्य का फैसला करेगी। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक़ अधिकतर विधायक अपने चुनाव की अपेक्षा कम सक्रिय है।

इसके साथ पार्टी सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि जिन मंत्रियों की विधानसभा में कम वोटिंग होगी, उनकी मंत्री पद से छुट्टी कर दी जाएगी। इसकी जगह उन विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा जिनके इलाके में अच्छी वोटिंग हुई है।  

लोकसभा चुनाव में पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व हर लोकसभा क्षेत्र में विधायकों से लेकर बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की सक्रियता पर नजर रखे हुए है और उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार हो रही है। ऐसे में अगर मध्यप्रदेश में अगले दो चऱणों में भी कम वोटिंग हुई तो लोकसभा चुनाव के बाद सरकार और संगठन स्तर पर बड़ी सर्जरी देखी जा सकती है।
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