• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. एनआरआई
  3. आपकी कलम
  4. poem on desh prem

प्रवासी कविता : देशप्रेम तुम्हारा

प्रवासी कविता : देशप्रेम तुम्हारा - poem on desh prem
Hindi Poem

जनता पूछती सरकार से
सरकार पूछती जनता से
विपक्ष पूछता सत्ता से
कहता सरकारी फ़ैसले ग़लत
जनता का फ़ैसला भी ग़लत
देश किससे पूछे यह सवाल
यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा
देश पूछ रहा है.......
 
नेता खींचा-तानी में व्यस्त हैं  
आतंकवाद ने कमर तोड़ दी
युद्धों का खर्चा बढ़ रहा है
महंगाई की मार ने त्रस्त किया
लाखों बच्चे शिक्षा से वंचित
गांव बिजली, पानी से वंचित
यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा
देश पूछ रहा है..........  
 
भ्रष्टाचार में चार चांद लग गए
दावे बड़े हैं हम चांद से आगे घूमे
सड़कें टूट बह गई पहली बारिश में
गंदगी के निकास का रास्ता साफ़ नहीं  
धर्म की सत्ता में अब व्यस्त है जनता
भूल सामान्य, ख़्वाहिशों के पीछे पड़ी
यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा
देश पूछ रहा है........
 
तापमान बढ़ा है धरती से आकाश तक
रोष भरा पड़ा है वातावरण में चारों ओर
पहाड़ पिघले, जंगल जले, खेत सिकुड़े
कॉपरेट वर्ल्ड के गुलाम ऊंचे उठते शहर
विकास देख ख़ुश सरकार सीना फुलाएं
बीच सड़क बैठा रो रहा है किसान
यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा
देश पूछ रहा है..........  
 
सरकार ने सवालों के जवाब दे दिए  
कानूनों में फेर-बदल कर नाम कर लिया
मुफ़्त बिजली, पानी, शिक्षा, अनाज, आवास
दे दूंगी सब तुम्हें पहले ले आओ आधार कार्ड
बुलडोज़र मैं चलवा दूंगी, रेड भी पड़वा दूंगी
नोट न चलें, सारी एंट्री डिजिटल ही है
यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा
पूछ रही है सरकार........
 
ग्लोबल वार्मिंग का दोष बढ़ा है
उसे निजीकरण से ठीक करना है
दाम पेट्रोल, डीज़ल के बढ़ाकर
धीमी होगी रफ़्तार, घट जाएगा प्रदूषण
गांधी छपे नोटों का चलन कम हो रहा
ऐ मेरे देश समझ, सवाल न कर
सोशल मीडिया बोलता है नए ज़माने में !!!  
यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा
पूछ रहा है.......।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ये भी पढ़ें
Bill gates से लेकर जेफ Bezos, अपनाते हैं ये 5 productivity टिप्स