• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. चैत्र नवरात्रि
  4. Ashtami Navami Kumari Kanya bhoj and Puja Katha kahani
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 (12:18 IST)

कन्या पूजा और भोज की कथा, जानें किस उम्र की कन्याएं देती हैं कौनसा आशीर्वाद

vaishno devi
Kanya Bhoj and Puja katha: चैत्र या शारदीय नवरात्रि पर कन्या पूजा और कन्या भोज का आयोजन किया जाता है। 16 को अष्टमी और 17 अप्रैल 2024 को नवमी है। कन्या पूजन को कुमारिका पूजा भी कहते हैं। 10 वर्ष तक की उम्र की कन्याओं को नवरात्र पर भोजन कराने का प्रचलन है। आओ जानते हैं कन्या पूजन और भोज से मिलता है कौनसा आशीर्वाद और क्या है कन्या भोज की कथा।
 
1. कन्याओं के रूप : कुमारी पूजा में ये बालिकाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं- 1. कुमारिका, 2. त्रिमूर्ति, 3. कल्याणी, 4. रोहिणी, 5. काली, 6. चंडिका, 7. शनभावी, 8. दुर्गा और 9. भद्रा। 
2. कन्याओं का आशीर्वाद : कन्याओं की आयु 10 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 1 से 2 साल की कन्या कुमारी को पूजने से धन, 3 साल की त्रिमूर्ति को पूजने से धान्य, 4 साल की कल्याणी को पूजने से सुख, 5 साल की रोहिणी को पूजने से सफलता, 6 साल की कालिका को पूजने से यश, 7 साल की चंडिका को पूजने से समृद्धि, 8 साल की शांभवी को पूजने से पराक्रम, 9 साल की दुर्गा को पूजने से वैभव और 10 साल की कन्या सुभद्रा को पूजने से सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
kanya pujan 2024
3. कन्या पूजा और भोज की कथा : वैष्णोदेवी कथा के अनुसार माता के भक्त नि:संतान पंडित श्रीधर ने एक दिन कुमारी कन्याओं को भोजन पर आमंत्रित किया। वहां पर मातारानी कन्या के रूप में आकर उन कन्याओं के बीच बैठ गई। सभी कन्या तो भोजन करने चली गई परंतु मारारानी वहीं बैठी रहीं। उन्होंने पंडित श्रीधर से कहा कि तुम एक भंडारा रखो, भंडारे में पूरे गांव को आमंत्रित करो। इस भंडारे में भैरवनाथ भी आया और वहीं उसके अंत का प्रारंभ भी हुआ। इस भोज में हनुामानजी माता की रक्षार्थ एक छोटा लड़का बनकर बैठे  थे। भैरवनाथ ने कन्या को पहचान कर माता को पकड़ने का प्रयास किया लेकिन माता अपनी शक्ति से त्रिकूटा की पहाड़ी की एक गुफा में जाकर तप करने लगे। गुफा के बाहर हनुमानजी पहरा देने लेग तभी वहां पर भैरवनाथ आ धमका। हनुमानजी ने उसकी खूब पिटाई की और 8 दिन तक उससे युद्ध चलता रहा तब माता गुफा से बाहर निकली और उन्होंने अपने अस्त्र से भैरनाथ का सिर काट दिया जो दूर जाकर गिरा। फिर मां ने श्रीधर को संतान प्राप्ति का वरदान दिया। 
तभी से उस पहाड़ी की गुफा में माता वैष्णोदेवी का वास है। इसलिए जब भी कन्या भोज कराया जाता है तो उनके साथ में एक लंगुरिया (छोटा लड़का) को भी भोजन कराया जाता है जोकि हनुमानजी का रूप होता है। ऐसी मान्याता है कि कन्या भोज के दौरान 9 में से एक कन्या साक्षात माता का रूप होती हैं।
ये भी पढ़ें
Ram Navami 2024: रामनवमी के दिन ऐसे करें भगवान राम और हनुमान जी की पूजा