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Written By WD Feature Desk

कब है मार्च माह में चंद्र ग्रहण, जानिए खास नियम

वर्ष 2024 में रहेंगे 2 चंद्रग्रहण, पहला 25 मार्च को उपछाया चंद्रग्रहण रहेगा

Chandra grahan 2024
Lunar Eclipse of the year 2024 : वर्ष 2024 में 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण रहेगा। पहला चंद्रग्रहण 25 मार्च और दूसरा चंद्रग्रहण 18 सितंबर 2024 को रहेगा। 25 मार्च का चंद्र ग्रहण कैसा रहेगा और क्या है इसका खास नियम यह जरूर जानिए।
 
पंचांग भेद से चारों ग्रहण भारत में दृष्य नहीं होने की बात कही जा रही है। सूतक की मान्यता उसी स्थान या देश पर होती है जहां यह दिखाई देता है। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं। कहां कहां दिखाई देगा?
 
1. उपच्छाया चंद्र ग्रहण : 25 मार्च को उपच्छाया चंद्र ग्रहण रहेगा जिसका पहला स्पर्श काल भारतीय समयानुसार सुबह 10:24 बजे, परमग्रास दोपहर 12:43 बजे और उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श काल दोपहर 03:01 बजे रहेगा।  इस चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे और 36 मिनट होगी।
 
कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण : यह उपछाया चंद्रग्रहण भारत से नहीं दिखाई देगा। यह यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के ज्यादातर हिस्से, नॉर्थ एवं ईस्ट एशिया और अफ्रीका के अधिकतर हिस्से, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका के क्षेत्र में दिखाई देगा।
 
सूतक काल मान्य होगा या नहीं : सूतक काल वहां मान्य होता है जहां पर चंद्र ग्रहण दिखाई देता है। सूतककाल को अशुभ समय माना जाता है जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं और साथ ही खास नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों में भोजन और पानी को शुद्ध करके ही लेते हैं। ग्रहण की समाप्त के बाद घर को शुद्ध करते हैं। पानी को तुलसी का पत्ता डालकर शुद्ध करते हैं।
 
2. खंडग्रास चंद्र ग्रहण : 18 सितंबर बुधवार को रहेगा। भारत में नहीं दिखाई देगा। यह ग्रहण यूरोप, मध्य एशिया, अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक समुद्री क्षेत्र, हिंद महासागर, आर्कटिक तथा अन्टार्कटिका में दिखाई देगा।
March 2024 lunar eclipse
March 2024 lunar eclipse
क्या होता है उपच्छाया ग्रहण :-
उपछाया चंद्र ग्रहण उस चंद्र ग्रहण को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया यानी पेनुम्ब्रा में आ जाता है। इससे उपछाया चंद्र ग्रहण लगता है। जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आती है तो उसे 'चंद्र ग्रहण' कहते हैं, इस दौरान पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है और एक सीधी रेखा बन जाती है, इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक नहीं पहुंचने देती है लेकिन 'उपछाया चंद्र ग्रहण' या 'पेनुमब्रल' के दौरान चंद्रमा का बिंब धुंधला हो जाता है और वो पूरी तरह से काला नहीं होता है इस वजह से चांद थोड़ा 'मलिन रूप' में दिखाई देता है। चंद्र ग्रहण हमेशा 'पूर्णिमा' को लगता है।