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Last Updated : शनिवार, 2 दिसंबर 2023 (16:50 IST)

सैम बहादुर फिल्म समीक्षा: रियल लाइफ हीरो की कहानी में जरूरत थी थोड़े ठहराव की

सैम बहादुर फिल्म समीक्षा: रियल लाइफ हीरो की कहानी में जरूरत थी थोड़े ठहराव की - Sam Bahadur movie review, Vicky Kaushal, Meghna Gulzar
मेघना गुलजार ने तलवार, राजी, छपाक जैसी फिल्मों के जरिये एक निर्देशक के रूप में अपनी खास पहचान बनाई है। अब वे फील्ड मार्शल सैम मानेक्शॉ की जिंदगी पर आधारित 'सैम बहादुर' नामक मूवी लेकर आई हैं जो कि एक रियल लाइफ हीरो रहे हैं और उनकी बहादुरी और मिजाज के कई किस्से वर्षों से चर्चित रहे हैं। 
 
मेघना ने सैम के जीवन को ढाई घंटे में समेटने की कोशिश की है। निश्चित रूप से फिल्मकार के रूप में उनके सामने बहुत बड़ी चुनौती थी कि वे किस बात को रखें और किस को छोड़ें? सैम ने चार दशक तक सेवाएं दीं, पांच युद्ध में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, पीएम के साथ उनके संबंध रहे। फिल्म में सब बातों का समेटना आसान नहीं था, इसलिए फिल्म में एक किस्म की जल्दबाजी नजर आती है। असल में सैम पर एक वेबसीरिज बनना चाहिए जिसमें तल्लीनता के साथ हर बात को शामिल कर दर्शाया जा सके। 
 
भारत के सबसे महान सैनिकों में से एक सैम बहादुर की कहानी तब से शुरू होती है जब 1933 में वे ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वे जापानी सैनिकों से लड़े। 7 बार गोलियां लगी। विभाजन के बाद पाकिस्तान सेना में शामिल होने का विकल्प उनके पास था, लेकिन वे भारतीय सेना का हिस्सा बने। भारत-चीन के विवाद के दौरान उनकी मुलाकात इंदिरा गांधी से होती है और फिर इस मुलाकात का क्या असर होता है इन बातों को 'सैम बहादुर' में दर्शाया गया है। 
 
भवानी अय्यर, शांतनु श्रीवास्तव और मेघना गुलज़ार ने फिल्म को लिखा है। इस टीम ने सैम की बहादुरी और उनके शॉर्पनेस को उभारा है। मेघना गुलजार की इस फिल्म में सैम बहादुर का जोशीलापन, जिंदादिली, हाजिर जवाबी नजर आती है। उनकी बहादुरी और एक सैनिक के रूप में उनके कारनामों को भी फिल्म में अंडरलाइन किया गया है। 
 
लेखकों ने सैम के असाधारण कौशल, दृढ़ विश्वास और साहस के किस्सों को कहानी के साथ जोड़ा है जो रियल लाइफ हीरो की विशेषताओं को दिखाता है। युद्ध के बजाय भारत के राजनीतिक इतिहास को ज्यादा महत्व दिया गया है। वास्तविक फुटेज को भी फिल्म में जोड़ा गया है। कुछ लोगों को 'सैम बहादुर' डॉक्यूमेंट्री का आभास दे सकती है क्योंकि मेघना गुलजार ने देशभक्ति की लहर पैदा करने की कोशिश नहीं की है और न इस तरह की डॉयलॉग बाजी रखी है। 
 
मेघना गुलजार ने ऐसे नायक पर फिल्म बनाई है जिसकी कहानी हर भारतीय को जानना चाहिए। निर्देशक के बतौर उन्होंने जितना हो सकता था उन प्रसंगों को फिल्म में रखा है। फिर भी ऐसा लगता है कुछ छूट सा गया है या कुछ घटनाओं को और विस्तार के साथ दिखाया जाता तो बेहतर होता। बहुत सारी बातों को समेटने की बजाय किसी खास हिस्से पर भी फिल्म बनाई जा सकती थी। फिल्म देखते समय कई सवाल भी उठते हैं, लेकिन हड़बड़ी में उन सवालों को फिल्मकार ने अनदेखा कर दिया।  
 
विक्की कौशल का अभिनय दमदार है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और अंदाज देखने लायक है। यह फिल्म उनके करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाएगी। सान्या मल्होत्रा, फातिमा सना शेख, मोहम्मद जीशान अय्यूब, नीरज काबी काबिल एक्टर्स हैं और अपनी-अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं। फिल्म की एडिटिंग और सिनेमाटोग्राफी लाजवाब है। 
 
'सैम बहादुर' में जल्दबाजी और छू कर गुजरने वाली बात परेशान करती है, लेकिन इस कमी के बावजूद देखा जा सकता है। 
  • निर्माता: रॉनी स्क्रूवाला
  • निर्देशक : मेघना गुलजार
  • गीतकार : गुलजार
  • संगीतकार : शंकर-अहसान-लॉय
  • कलाकार : विक्की कौशल, सान्या मल्होत्रा, फातिमा सना शेख, नीरज काबी, गोविंद नामदेव, मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब 
  • रेटिंग : 3/5