• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. How strong will be Yusuf Pathan against Adhir Ranjan in Baharampur?
Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 12 मार्च 2024 (07:52 IST)

यूसुफ पठान बहरमपुर में अधीर रंजन के खिलाफ कितने मजबूत साबित होंगे

yusuf pathan
प्रभाकर मणि तिवारी, कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए
एक राजनीति के मैदान का धुरंधर और दूसरा क्रिकेट का। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर सीट से राजनीति की पिच पर प्रतिकूल हालात में भी करीब ढाई दशक से बल्लेबाजी करते रहे कांग्रेस नेता अधीर चौधरी के खिलाफ हरफनमौला क्रिकेटर रहे यूसुफ पठान को उतार कर एक तीर से कई शिकार किए हैं।
 
इस नाम के एलान से उन्होंने जहां जिला स्तर पर पार्टी में सिर उठा रही बगावत पर अंकुश लगा दिया, वहीं जाहिर तौर पर अधीर की राह भी पथरीली बना दी है।
 
दोनों धुरंधरों के टकराव का नतीजा क्या होगा, यह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन अधीर की टिप्पणी से यह बात शीशे की तरह साफ है कि उनको भी इससे कुछ झटका लगा है।
 
उम्मीदवारी के एलान और उसके बाद ममता और बाकी उम्मीदवारों के साथ रैंप वॉक करने के बाद पठान ने भी साल 2021 के विधानसभा चुनाव से मशहूर 'खेला होबे' का नारा दिया।
 
उनका कहना था, "मैं क्रिकेट के मैदान में रहते हुए देश के लिए विश्व कप और कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम के लिए दो-दो बार आईपीएल जीत चुका हूं। अब राजनीति की पिच पर भी उसी तरह जीत के साथ शुरुआत की उम्मीद है।"
 
अचानक यूसुफ पठान का नाम सामने कैसे आया?
आईपीएल में उनके टीममेट और फ़िलहाल राज्य के खेल राज्य मंत्री मनोज तिवारी कहते हैं, "हमने एक साथ मिल कर आईपीएल ट्रॉफी जीती है। अब तृणमूल कांग्रेस के बैनर तले लोकसभा चुनाव भी जीतेंगे।"
 
दिलचस्प बात यह है कि यूसुफ पठान की उम्मीदवारी पर अंतिम मुहर ब्रिगेड की सभा के ठीक पहले लगी।
 
ममता बनर्जी और अभिषेक ने तो उनका नाम तय कर लिया था। बस इंतज़ार था यूसुफ की सहमति मिलने का। यह काम अभिषेक बनर्जी ने किया।
 
लेकिन अचानक यूसुफ पठान का नाम सामने कैसे आया? तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "यूसुफ की उम्मीदवारी को इतना गोपनीय रखा गया था कि दो-तीन शीर्ष नेताओं के अलावा आख़िरी पल तक किसी को इसकी भनक नहीं लगी। लेकिन अब साफ हो गया है कि उनको राजनीति की पिच पर उतारने का बीड़ा अभिषेक बनर्जी ने ही उठाया था।"
 
वैसे, ब्रिगेड परेड ग्राउंड की रैली से ठीक पहले के घटनाक्रम से भी इसकी पुष्टि होती है।
 
अभिषेक के एक क़रीबी बताते हैं कि यूसुफ श्रीलंका से यहां पहुंचने के बाद एयरपोर्ट से काले रंग की एक एसयूवी कार में सीधे ब्रिगेड परेड मैदान में बने मंच के पीछे पहुंचे।
 
उनकी कार वहां पहले से ही एक ट्रैवलर से लगभग सटकर खड़ी हो गई। बिना किसी की नज़रों में आए यूसुफ एसयूवी से उतर कर ट्रैवलर के भीतर चढ़े। उसके एक मिनट बाद ही अभिषेक बनर्जी भी अपने टेंट से निकल कर ट्रैवलर में घुस गए। इस दौरान अभिषेक के निजी सहायक सुमित राय भी मौजूद थे।
 
क़रीब दस मिनट बाद सुमित बाहर निकल आए। इसके बाद भी क़रीब चार मिनट तक दोनों लोगों में बातचीत जारी रही।
 
यूसुफ पठान को ही क्यों चुना
वह बताते हैं, "फ़ोन पर पहले कई बार बातचीत हुई थी। लेकिन दोनों की पहली मुलाक़ात रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में ही हुई। उसी बैठक के दौरान पठान ने बहरमपुर से उम्मीदवारी पर सहमति जता दी। नाम का एलान नहीं होने तक वो मंच पर आने की बजाय एसयूवी में ही बैठे रहे।"
 
लेकिन आख़िर ममता ने अधीर के ख़िलाफ़ यूसुफ पठान को ही क्यों चुना? तृणमूल कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक़ इसके तीन प्रमुख कारण हैं। इसमें सबसे बड़ी वजह है, ज़िले में पार्टी की अंतरकलह पर अंकुश लगाना।
 
बहरमपुर सीट से इस बार पार्टी की पूर्व ज़िला प्रमुख सावनी सिंह राय के समर्थक उनकी उम्मीदवारी की मांग कर रहे थे। दूसरी ओर, पिछले लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार और मौजूदा ज़िला प्रमुख अपूर्व भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे।
 
पार्टी के नेताओं का कहना है कि बहरमपुर नगरपालिका के अध्यक्ष नाड़ू गोपाल मुखोपाध्याय भी टिकट पाने की जुगत में जुटे थे।
 
मुर्शिदाबाद के एक तृणमूल कांग्रेस नेता कहते हैं, "अगर इन तीनों में से किसी को भी टिकट मिलता तो बाकी दोनों नेता बग़ावत पर उतारू हो जाते। तब हालात बेकाबू होने का ख़तरा था। अब यूसुफ पठान जैसे एक क्रिकेटर के मैदान में उतरने से सबकी बोलती बंद हो गई है और तमाम गुट उसकी जीत सुनिश्चित करने में जुट जाएंगे।"
 
पार्टी के ज़िला अध्यक्ष अपूर्व कहते हैं, "शीर्ष नेतृत्व ने बेहतर जानकर ही यूसुफ पठान को यहां अपना उम्मीदवार बनाया है। अब उनकी जीत सुनिश्चित करना तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी है।"
 
बहरमपुर सीट का क्या है समीकरण
बहरमपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत बहरमपुर के अलावा बेलडांगा, नवदा, जेरिनगर, कांदी, भरतपुर और बड़ंचा विधानसभा सीटें हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इनमें से तीन-बहरमपुर, नवदा और बड़ंचा में अधीर रंजन चौधरी आगे रहे थे और बाकी में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार अपूर्व।
 
लेकिन ख़ास बात यह है कि अधीर की जीत का अंतर एक झटके में 3.56 लाख से घटकर क़रीब 81 हज़ार ही रह गया था।
 
साल 2021 के विधानसभा चुनाव में बहरमपुर सीट बीजेपी ने जीती थी और बाकी छह सीटें तृणमूल कांग्रेस के खाते में गई थीं। बीते साल हुए पंचायत चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र के तहत ज़्यादातर सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई थी।
 
तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता बताते हैं, "कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाबी मिलने की स्थिति में बहरमपुर में जीत तय है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने पठान को यहां उतारा है।"
 
"तृणमूल कांग्रेस नेताओं का कहना है कि साल 2019 में अधीर की जीत का सबसे बड़ा कारण उनका निजी करिश्मा था। अधीर की छवि को टक्कर देने लायक ज़िले में तृणमूल का कोई नेता नहीं है। इसीलिए ममता ने यहां यूसुफ पठान जैसे लोकप्रिय क्रिकेटर को मैदान में उतारा है जो स्थानीय लोगों के लिए भी अनजान नहीं है।"
 
मुर्शिदाबाद के एक तृणमूल कांग्रेस नेता कहते हैं, "हमारे देश में क्रिकेटरों की लोकप्रियता की कोई तुलना नहीं की जा सकती। पठान लंबे समय तक कोलकाता में रह कर खेलते रहे हैं। हरफनमौला खिलाड़ी के साथ ही वे पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा भी बन गए हैं। यह बात बहरमपुर जैसे अल्पसंख्यक बहुल इलाक़े के लिए बहुत मायने रखती है।"
 
हालांकि कांग्रेस और बीजेपी पठान के बाहरी होने का मुद्दा भी उठा सकती है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि वो देश के लिए खेल और विश्वकप जीत चुके हैं। इसके अलावा लंबे समय तक आईपीएल में कोलकाता में खेलते रहे हैं। उनको बाहरी का तमगा देना आसान नहीं होगा।
 
कांग्रेस का कहना है कि अधीर चौधरी को हराने के लिए ही तृणमूल कांग्रेस ने यहां बाहरी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।
 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगा कर बीजेपी की मदद करने के लिए ही ममता बनर्जी ने यहां यूसुफ पठान को टिकट दिया है।
 
बीजेपी का क्या है कहना
तृणमूल कांग्रेस के एक गुट को आशंका है कि कहीं अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध का फ़ायदा भाजपा को न मिल जाए। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार निर्मल साहा भी इसी गणित के आधार पर अपनी जीत का दावा करते हैं।
 
निर्मल कहते हैं कि ममता बनर्जी ने यहां पठान जैसे सेलिब्रिटी क्रिकेटर को उतार कर हमारी जीत की राह आसान बना दी है।
 
वरिष्ठ पत्रकार तापस कुमार मुखर्जी कहते हैं, "ममता बनर्जी पहले से ही यह संकेत दे रही थीं कि उम्मीदवारों की सूची में चौंकाने वाले नाम हो सकते हैं। लेकिन सबसे चौंकाने वाला नाम तो यूसुफ पठान का ही था, ख़ासकर अधीर के ख़िलाफ़ उनकी उम्मीदवारी के कारण। उन्होंने राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया है।"
 
रविवार शाम को एक कार्यक्रम में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने इस बारे में पत्रकारों के सवाल पर कहा, "क्रिकेटरों का राजनीति में आना अच्छा संकेत है। यूसुफ ने कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए लंबे समय तक खेला है। अब वह बहरमपुर में अधीर चौधरी के खिलाफ मैदान में है।"
 
उनकी लड़ाई कितनी कठिन है? इस पर पूर्व कप्तान का कहना था, "मेरी निगाह में यह ब्रेट ली की गेंद पर बल्लेबाज़ी करने जैसा है।"
 
यूसुफ भी मानते हैं कि बहरमपुर की लड़ाई कठिन है। उनका कहना था, "सुना है वहां प्रतिद्वंद्वी बहुत मज़बूत है। अब उनसे मुक़ाबला होगा। हार-जीत का फ़ैसला तो आम लोग करेंगे। मैं संसद में बंगाल के लोगों की आवाज़ उठाना चाहता हूं।"
 
यूसुफ पठान चुनाव की तारीखों के एलान के बाद से ही बहरमपुर रहने लगेंगे। फ़िलहाल उनके लिए एक ढंग के मकान की तलाश शुरू हो गई है।
ये भी पढ़ें
चुनाव से ठीक पहले CAA लागू करके बंगाल और असम में बीजेपी को क्या लाभ होगा?